वंदे भारत मिशन


वंदे भारत मिशन 
विदेश मंत्रालय ने एक गतिशील ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया है|जिस पर भारतीय नागरिकों द्वारा भारतीय नागरिकों से वापसी के लिए अनुरोध किए गए हैं|अनुरोधों को नियमित रूप से अपलोड किया जा रहा है |विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के लिए 7 मई से 13 मई तक 64 विशेष फ्लाइ‍ट्स संचालित की जाएंगी हालाँकि पहले हफ्ते में 15 उड़ानों का संचालन किया जाएगा|कई एजेंसियों के सहयोग से चलाये जाने वाले वंदे भारत मिशन के तहत विशेष उड़ानें ब्रिटेन, अमेरिका, और सिंगापुर, मलेशिया, कुवैत, सऊदी अरब, फिलीपींस, संयुक्‍त अरब अमीरात (UAE) और बांग्लादेश को भेजी जाएंगी| इन विशेष फ्लाइट्स में 200 से 300 यात्रियों को ही बैठने की इजाजत दी जाएगी|अर्थात इन विशेष विमानों में भी सोशल डिस्‍टेंसिंग का भी कड़ाई से पालन किया जाएगा|
मालूम है कि खाड़ी क्षेत्र में 3 लाख से अधिक लोगों ने वहां से निकलने के लिए पंजीकरण कराया है| लेकिन अभी फ़िलहाल उन्हीं लोगों को वापस लाया जायेगा जिनका वीजा ख़त्म होने वाला है| चिकित्सा संबंधी आपात स्थिति,या निर्वासन की संभावना जैसे अत्यावश्यक कारण हैं|आगमन के बाद, सभी भारतीय नागरिकों को COVID-19 के प्रसार से बचने के लिए सरकारी सुविधा में अनिवार्य संगरोध अवधि बिताना होगा।
प्रथम चरण  
भारतीय स्रोत ने कहा कि 27 उड़ानें खाड़ी देशों से और 7 उड़ानें बांग्लादेश से उड़ान भरने के लिए निर्धारित हैं। शुक्रवार को, एयर इंडिया की एक विशेष चार्टर फ्लाइट ने ढाका से 167 छात्रों को श्रीनगर लाया। अधिकांश छात्र बांग्लादेश की राजधानी में मेडिकल स्कूलों में नामांकित थे। उसी समय के दौरान, सिंगापुर, मलेशिया और फिलीपींस से फंसे भारतीयों के लिए 14 गैर-अनुसूचित वाणिज्यिक उड़ानें आरक्षित हैं। उसी समय, न्यूयॉर्क, वाशिंगटन, डीसी, शिकागो और सैन फ्रांसिस्को के लिए सात उड़ानें भरी जाएंगी। सात अन्य उड़ानें लंदन से भारतीयों को एयरलिफ्ट करेंगी।रूस और यूक्रेन ने पिछले कुछ हफ्तों में भारत से अपने नागरिकों की एक बड़ी संख्या को बाहर कर दिया है| यहां तक ​​कि कई हजार भारतीय दो देशों और पूर्वी यूरोपीय देशों जैसे लातविया, लिथुआनिया और एस्टोनिया में फंसे हुए हैं। यूक्रेन के एक राजनयिक सूत्र ने कहा कि कम से कम 15,000 भारतीय यूक्रेन में हैं।हमारा आकलन है कि कम से कम 4,000 भारतीय यूक्रेन से एयरलिफ्ट होने के इच्छुक होंगे।थाईलैंड के लिए कई उड़ानें चरण- II का हिस्सा होने की उम्मीद है।
 फ्लाइट का खर्चा  
इन विशेष फ्लाइट्स का खर्चा यात्रियों को खुद ही उठाना होगा| इसके लिए सरकार ने पहले ही किराये की घोषणा कर दी है| अमेरिका से लौटने के लिए 1 लाख रुपये और यूरोप से आने के लिए 50,000 रुपये और की दर तय की गई है| शिकागो से हैदराबाद, शिकागो से दिल्ली के लिए लगभग 1 लाख रुपये और सैन फ्रांस्सिको और नेवार्क से भी लौटने के 1-1 लाख रुपये देने होंगे| वहीँ लंदन से दिल्ली, लंदन से मुंबई, लंदन से बेंगलुरु, लंदन से अहमदाबाद के लिए 50 हजार रुपये देने होंगे|
ऑपरेशन समुद्र सेतु 
यह ऑपरेशन भारतीय नौसेना द्वारा दूसरे देशों से भारतीयों को वापस लाने के लिए चलाया जा रहा है| भारतीय नौसेना के पोत INS मगर और INS जलाशवा मालदीव से भारतीय नागरिकों को वापस ला रहा है और इन्हें कोच्चि लाया जायेगा| अभी और लोगों को इसी तरीके से वापस लाने के लिए मालदीव से भारत वापस आने वाले भारतीयों की सूची तैयार की जा रही है| जहाज कोच्चि और तूतीकोरिन के लिए दो यात्राएँ करेंगे। आईएनएस जलशवा, 698 यात्रियों के साथ, पहले दौर में 10 मई को कोच्चि पहुंचने और तमिलनाडु के तूतीकोरिन जाने की उम्मीद है। द्वीपसमूह के राष्ट्र से निकासी के मौजूदा चरण में, 1,800-2,000 भारतीयों को वापस लाया जाएगा, पोत में बैठाने से पहले इनका मेडिकल चेकअप भी किया जायेगा और पोत में सोशल डिस्टेंसिंग और मेडिकल सुविधा का भी इंतजाम किया गया है|
प्रवासी भारतीयों का भारत में पैसा भेजने में योगदान 
विदेश से पैसा भेजने के मामले में भारतीयों ने अपना टॉप स्थान अभी भी कायम किया हुआ है|प्रवासी भारतीयों ने 2018 में 78.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर भारत में अपने परिवारजनों को भेजे हैं जो कि विश्व के कुल प्रेषण 689 बिलियन डॉलर का लगभग 14% है| चीन भी इस मामले में भारत से पीछे है. चीन को इसी अवधि में 67.41 अरब डॉलर मिले थे|ज्ञातव्य है कि 2019 के मध्य तक 17.5 मिलियन भारतीय विदेशों में रहते हैं| भारत का प्रवासी समुदाय मुख्य रूप से संयुक्त अरब अमीरात (3.4 मिलियन), यूएस (2.7 मिलियन) और सऊदी अरब (2.4 मिलियन) में रहता है| ये लोग हर माह अपने परिवार/मित्रों के लोगों को खर्चा भेजते हैं. इसमें सबसे अधिक पैसा अमेरिका ($68bn) से भारत में भेजा जाता है| इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात ($44.4bn)और सऊदी अरब ($36.1bn) का नंबर आता है|
इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रवासी भारतीयों का भारत के विकास में बड़ा योगदान है. इसलिए यदि सरकार उनको इस संकट की घडी में बाहर निकाल रही है तो यह एक एक सराहनीय कदम है|





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