कोरोना वायरस :- एक नया संकट

| मेरे प्यारे दोस्तों |
दोस्तों इस समय दुनिया कोरोना वायरस की वजह से भयंकर त्रासदी का शिकार है|लोग मर रहें हैं|इस बीमारी से लड़ने का अभी तक न तो कोई टिका है और न तो कोई दवा है|दुनिया के अधिकतम विकसित देश इस समय खुद को और पूरी दुनिया को बचाने का हर संभव प्रयास करते नजर आ रहे हैं|लेकिन अभी तक कोई ऐसा सटीक तरीका विकसित नही किया जा सका है जिससे कि यह कहा जाए की हम पूरी तरह से सुरक्षित हैं|

दुनिया की सारी सरकारें और सारे रोग विशेषग्य,हर डाक्टर,हर संस्थाए अपनी तरह से हर संभव कोशिश कर रही है कि लोगों को कैसे बचाया जाए?आखिर वो कौन तरीका है जिससे मानव सभ्यता पर उत्पन खतरे को नियंत्रित किया जा सके या उसको पूरी तरह से खत्म किया सके ताकि सब कुछ पहले के जैसा फिर से सामान्य हो|
कोरोना एक खतरनाक विषाणु है |यह एक छुआ-छुत की बीमारी है जो लोगों से लोगों में फैलता है| कुछ जरुरी कदम जैसे सामाजिक दुरी, अलग-अलग रहना, लोगों से कम मिलना,अत्यधिक जरुरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकलना, खुद को साफ रखना, इत्यादि से ही खुद को बचाया जा सकता है अभी तक इसके अलावा और कोई दूसरा रास्ता नही है |
कोरोना के रूप में दुनिया ने जो तबाही का सामना किया है इससे दुनिया के हर कोने में हाहाकार मची है|यह संकट के रूप में तो सामने आया ही है साथ में इसने मनुष्य की हर कमियों को भी उजागर किया है |सबसे बड़ी कमी तो इस तरह सामने आई कि,दुनिया के अधिक से अधिक समृद्धशाली देशों के पास भी इससे लड़ने की कोई सुबिधा नही है|अब वक्त गहराई से सोचने का है कि सभ्यताओं के इतने विकास के बाद भी क्या हम इतने शक्तिशाली नही है कि इन संकटों का सामना कर सकें ?
इस बीमारी की वजह से दुनिया की सारी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो चुकी है |लोग बीमारी से तो कौफ में ही ही साथ में बहुत ऐसी विकट स्थिति उत्पन हो गयी है जिससे जीवन में खतरा उत्पन हो गया है| दुनिया बहुत नाजुक दौर से गुजर रही है|हमारा दैनिक जीवन,हमारा कारोबार और सबकुछ में खतरा आ गया है| शायद ऐसा समय आ गया है जब सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक तथा जीवन के अन्य पहलुओं से सम्बंधित संकट शुरू हो गया है | इसके साथ यह भी साफ हुआ है कि दुनिया की सारी चीजें एक दुसरे से सम्बंधित है| जहाँ अकेले रहना मुश्किल है|निर्भरता हमारी जरुरत है|
इसके अलावा एक महत्वपूर्ण चीज़ जो सामने आई है वो है सामाजिक-बहिस्कार|जो लोग इस बीमारी से ग्रसित है या उनको किसी भी तरह का मामूली संक्रमण है या फिर वैसे डॉक्टर,नर्सेस या हेल्थ स्टाफ जो खुद को रिस्क पर रखते हुए मानवता के नाम पर अपनी सेवाएँ लोगों की भलाई के लिए दे रहें हैं उनको भी सामाजिक-बहिस्कार का सामना करना पड़ रहा है|ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम खुद को बचाते हुए अपने सामाजिक और नैतिक कर्तव्यों को याद रखें ताकि हम मिलकर इस संकट से बाहर हो सकें | ऐसे समय में खुद के प्रति केंद्रित होकर सोचने की जरुरत है कि आखिर किस चीज़ के पीछे लगातार भाग रहे है और हमे क्या मिला ? जब जीवन में किया गया सब-कुछ बर्बाद होने की स्थिति में आ गया है इसलिए इससे बेहतर मौका नही हो सकता कि हम अपने परिवार, समाज, देश के लिए खड़ा हो सकें क्योकि इससे बड़ी देशभक्ति अब शायद ही होगी | लोगों को इस बीमारी से के प्रति जागरूक भी करना पढ़े लिखे लोगों का काम है ताकि यह कम से कम फ़ैल सके और जीवन को सुरक्षित किया जा सके|
सोशल-मीडिया एक बेहतरीन तकनीक है जिसका इस्तेमाल मानव जीवन को बचाने में किया जा सकता है| हम में से ज्यादातर लोग सोशल-मिडिया से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं इसमें हमारी सामाजिक जिम्मेवारी है कि हम लोगों को जागरूक करें और गलत जानकारी को शेयर न करें |क्योकि जब सुचना कम और अच्छा होगा तो उससे जुड़े लोगों को ज्यादा फायदा हो सकता है बजाय कि हम गलत और फालतू जानकारी साझा करे | हो सके तो वही जानकारी साझा करे जो सही हो या सरकार के द्वारा दिया गया दिशा-निर्देश हो |
सरकार के द्वारा बनाये गये नीतिओं से मानव जीवन एक हद तक प्रभावित्त होता है जो अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव डालता है इस समय यह सोचना अत्यंत ही जरुरी है कि जनता ने अथक प्रयास के द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों में जिन जन-प्रतिनिधियों का चुनाव किया है उनका इस समय में क्या प्रयास है ? वें अपनी जनता के लिए कौन सा महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं ? क्योकि आप ये मत भूलें की जनता प्रतिनिधि जनता की सेवा के लिए ही हैं |आपका यह कर्तब्य है कि आप उनसे पूछे की इस बीमारी से लड़ने के लिए आपके द्वारा क्या किया जा रहा है ?
मनुष्य के व्यक्तित्व का हिस्सा दो बराबर भागों में बंटा है एक आतंरिक है तो एक बाहरी व्यक्तित्व| . प्रकृति का नियम है कि इन दोनों हिस्सों में सामंजस्य होना बहुत जरुरी है तभी सही मायनों में विकास संभव है|पहले जहा दुनिया का शासन उनलोगों के हाथ में था जिनको व्यक्तित्व का सम्पूर्ण विकास के बारे में मालूम था या ये कहा जा सकता है कि जो भी नीतियाँ पहले बनाए जाती थी उनका सीधा सम्बन्ध समुचित विकास पर था|लेकिन दुर्भाग्य से बदलते समय में मनुष्य ने अपनी बाहरी शक्तिओं का ही विकास किया और लगातार आतंरिक शक्तियों की अनदेखी की गयी |जिसका परिणाम यह हुआ की आदमी ने लगातार भौतिक सुख-सुबिधाओं में अप्रत्याशित बढ़त हासिल की और हमने जीवन को आसान बनानेवाले उपकरणों को खोज निकाला|हमने बम, मिसाइल,गोला, बारूद बनाये|न्यूकिलियर आक्रमण के साथ-साथ अब जैविक हथियार तक पहुच गये हैं | प्रकृति के साथ अनावश्यक रूपों में छेड़छाड़ की गयी जिसका परिणाम हमारे सामने है |इसलिए अब वक्त आ गया कि हम जितना हो सके प्रकृति के सानिध्य में ही रहें और उन महापुरुषों और उनके द्वारा बताये गये नियमों का पालन भी करे जिन्होंने संकट के समय दुनिया को उबारा है| हम दुनिया के उस समय में पहुच गये है| जहा किसी भी तरह से सुरक्षित नही है| वजह चाहे जो भी हो यह कहना बहुत मुश्किल है कि इसमें किसकी गलती है और ये जो त्रासदी है वह हमारे बिना सोची समझी हुई विकास का परिणाम है|या मनुष्य के गिरते हुए चेतना का भी परिणाम कहा जा सकता है|
सकरार के दिशा-निर्देशों और सामाजिक दुरी का पालन तथा प्रकृति के साथ बेहतर तालमेल फ़िलहाल समय की मांग है| इसलिए इसका पालन करे और ये जरुर कोशिश करे कि आपका जीवन मानवता के कुछ कम सके |धन्यवाद|
                                                                         ||स्वतंत्र विचार ||

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