राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज
राजा राममोहन राय,बहुमुखी प्रतिभा के धनी तथा भारतीय पुनर्जागरण के जनक और आधुनिक भारत के
निर्माता थे | उन्होंने आधुनिक पश्चिमी विचारों पर आधारित ब्रह्म समजा की स्थापना
की थी जो हिन्दू धर्म का पहला सुधार आन्दोलन था |
उनका जन्म बंगाल में 1772 में हुआ था | एक
सुधारवादी के रूप में इनका विचार
वैज्ञानिक विचारों और सामाजिक समानता से परिपूर्ण था | वे एकेश्वरवाद में विश्वास रखते थे |1809 में उन्होंने एकेश्वरवादियों
के लिए किताब लिखी तथा अनेक भाषाओं में अनेक ग्रंथों की रचना की |
रजा राममोहन का मत था कि हिन्दू धर्म में
व्याप्त कुरीतिओं को दूर करने के लिए यह जरुरी है कि जनता को मूल धार्मिक ग्रंथों
की जानकारी दी जाए |उन्होंने एक सर्वशक्तिमान इश्वर पर आधारित विश्व धर्म में अपनी
आस्था व्यक्त की और मूर्ति पूजा तथा
धार्मिक अनुष्ठानों की निंदा की | 1814 में उन्होंने कलकता में आत्मीय सभा की
स्थापना की |
धार्मिक सुधार के क्षेत्र में उनका महान कार्य
था |
1.
1828 में ब्रह्म सभा की
स्थापना
2.
1830 में ब्रह्म समाज की
स्थापना
ब्रह्म समाज धार्मिक सुधार का पहला महत्वपूर्ण
संगठन था जिसने मूर्तिपूजा और निरर्थक प्रथाओं तथा रीति-रिवाजों का बहिस्कार किया
|
राजा राममोहन राय की गतिविधियाँ धार्मिक सुधार
तक ही सीमित नही थी बल्कि उन्होंने अंग्रेजी शिक्षा का समर्थन किया और साथ में
ज्ञान विज्ञानं, प्रेस की आज़ादी के लिए काम किया |
समाजिक सुधार के क्षेत्र में उनकी बड़ी उपलब्धि
थी 1829 में सती- प्रथा का अंत | जिसके वजह से उनके आन्दोलन को कट्टरपंथीओं ने कड़ा विरोध किया था | राम मोहन राय ने
बहुपत्नी-प्रथा का भी विरोध किया था | वे चाहते थे कि स्त्रियों को भी शिक्षा और
सम्पति का अधिकार मिले |
लगातार विरोध के वावजूद भी ब्रह्म समाज का
प्रभाव बढ़ता गया और देश के विभिन्न भागों में इसकी शाखाएं खुली | ब्रह्म समज के दो प्रमुख नेता थे|
1.देवेन्द्र नाथ ठाकुर
2.केशव चन्द्र सेन
ब्रह्म समाज के प्रचार के लिए केशव चन्द्र ने
मद्रास और बाम्बे की यात्रा की |1866 में ब्रह्म समाज का विभाजन हुआ |और केशव
चन्द्र ने भारतीय ब्रह्म समाज की स्थापना की |
ब्रह्म समाजी बुद्धिवाद और सुधार के प्रतिनिधि
थे | उन्होंने जातिप्रथा की कठोर व्यवस्था पर प्रहार किया तथाकथित निम्न जातिओं के
साथ तथा अन्य धर्मों के लोगों के साथ खानपान शुरु किया | वस्तुओं पर लगाये गये
प्रतिबंधों का विरोध किया और समाज में स्त्रियों की दशा सुधारने पर काम किया |
राजा राममोहन राय द्वारा शुरु किये गए और
दूसरों द्वारा आगे बढ़ाये गये इस आन्दोलन ने देश के अन्य भागों में इसी तरह के सुधार आंदोलनों को प्रभावित
किया|
Very informative
ReplyDeletethnkx..plz share
DeleteGood one
ReplyDeletethank you plz follow for regular updates
DeleteThanks for the information
ReplyDeletewelcome plz follow
Deleteभारत मे समाज सुधार के अग्रदूत !
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